भारतीय किसानों को समर्पित
सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं
तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो!
धीर तुम बढ़े चलो!
प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो
चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो!
धीर तुम बढ़े चलो!
एक ध्वज लिये हुए
एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये
पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो!
धीर तुम बढ़े चलो!
अन्न भूमि में भरा
वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो
रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो!
धीर तुम बढ़े चलो!
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