विनाश काल विपरीत बुद्धी! (Justice katju)

 विनाश काल विपरीत बुद्धि!


जस्टिस मार्कंडेय काटजूपूर्व न्यायाधीशसुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया

बताया गया है कि दिल्ली के गाज़ीपुरटीकरी और सिंघू बॉर्डर पर इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं को अधिकारियों ने बंद कर दिया है। अधिकारी शायद  समझते  हैं कि ऐसा करने से वे किसानों के आंदोलन को दबा देंगेलेकिन मेरी राय में यह केवल स्थिति को और भयावह बनाएगा और  बिगाड़ेगा 

अधिकारीगण  इंग्लैंड के किंग कैन्यूट ( King Canute ) की तरह व्यवहार कर रहे हैंजिन्होंने ज्वार की लहरों को चले जाने के लिए कहा था। उन्होंने अपने गोएबेल्सियन ( Goebbelsian ) प्रचार द्वारा (जो बेशर्म ‘गोदी मीडिया के माध्यम से फैलाई गयाकिसानों को खालिस्तानीपाकिस्तानीमाओवादीदेशद्रोही आदि के रूप में चित्रित करने की कोशिश कीलेकिन इसका विश्वास किसी ने नहीं किया किया 

तब उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठे हुए किसानों पर हमला करने के लिए गुंडे भेजेलेकिन किसानों ने उनका सामना कर उन्हें वहां से भगा दिया  पुलिसकर्मियों को उन्हें तितर-बितर करने के लिए भी भेजा गयालेकिन मुझे एक युवा मित्र ने सूचित कियाजो नियमित रूप से किसानों के पास जाते हैं और उन्हें भोजनपानी की बोतलें आदि की आपूर्ति करते हैंकी  कई पुलिसकर्मियों ने किसानों को गले लगाया और रोएहालांकि उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे इसका वीडियो  निकालें ताकि  उन्हें पीड़ित  किया जाए  आखिरकारअधिकांश पुलिसकर्मी (और सेना के जवानकिसानों के बेटे हैंऔर उनके दिल में उनके प्रति सहानुभूति होगी ही।

यह घटना हमें 25 जुलाई 1830 में फ्रांसीसी राजा चार्ल्स  ( Charles X ) द्वारा जारी किये गए सेंट क्लाउड ऑर्डिनेंस ( Saint Cloud Ordinance ) की  याद  दिलाती हैं। यह ऑर्डिनेंस  प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने के लिए जारी किया गया था ,जिसका परिणाम हुआ 1830 की जुलाई क्रांतिजिसने  दिनों की बैरिकेड लड़ाई के बाद  राजा को पदहीन कर दिया 

फरवरी 1917 में रूसी सैनिकों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया थाजिससे उनमें उल्टा प्रदर्शनकारियों के साथ  अपनेपन का एहसास जगाऔर परिणामस्वरूप फ़रवरी क्रान्ति  ( February Revolution ) हुई, जिससे  ज़ारिस्ट ( Czarist ) शासन का पतन हुआ।

भारत के किसान संख्या में लगभग 75 करोड़ (750 मिलियनहैंजो एक बहुत बड़ी ताकत हैऔर  जो अब एक ज्वार की लहर के भाँति उठ खड़ी होगयी है। नेपोलियन ने चीनी लोगों के बारे में कहा था  कि "सोने वाले विशाल जीव को सोने दो, क्योंकि जब वह जागेगा तो दुनिया  हिल जाएगी" आज भारतीय किसानों के बारे में भी यही कहा जा सकता हैजो अब तक कुंभकर्ण की तरह सो रहे  थे।

भारत अब तक प्रगति नहीं कर सका क्योंकि हम जाति और धर्म के आधार पर विभाजित थेऔर आपस में लड़ रहे थे, और इस कमजोरी का उपयोग हमारे स्वार्थी राजनेताओं ने समाज के ध्रुवीकरण और जाति और सांप्रदायिक घृणा और  हिंसा को उकसाकर अपने लिए वोट बैंक बनाने के लिए किया। वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन ने जाति और धर्म की बाधाओं को तोड़ कर लोगों को एकजुट कर दिया हैजो एक महान ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके अलावा, इन्होंने राजनेताओं को इस मामले से दूरी बनाये रखने के लिए कहा है।

यह आंदोलनजो वर्तमान में केवल आर्थिक मांगों के लिए हैजैसे कृषि उपज के लिए उचित मूल्य आदि ,बाद में  भारतीय जनता के एक विशाल राजनैतिक और सामाजिक  जनसंघर्ष में विकसित होगा , जो 10-15 वर्षों तक चल सकता है, लेकिन  अंततोगत्वा  इसका परिणाम होगा एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था बनाना जिसके तहत भारत तेज़ी  से औद्योगिकीकरण करेगा , और  भारत को  समृद्ध राष्ट्र बनाएगा और  भारतीय जनता को उच्च जीवन स्तर और सभ्य जीवन भी देगा  

भारतीय किसान दीर्घायु  हों !

टिप्पणियाँ