*"बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का ब्रजपात जारीं,कैसे होगा बच्चों का बौद्धिक विकास ,कोरोना का शिक्षा पर प्रभाव*"

 Published by Pallavi pandey

*"बुनियादी शिक्षा पर कोरोना का ब्रजपात जारीं,कैसे होगा बच्चों का बौद्धिक विकास ,कोरोना का शिक्षा पर प्रभाव*"


By Aman Gupta 

  कोरोना वायरस आज संपूर्ण विश्व पर काल की भांति मंडरा रहा है। इस वायरस ने दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था एबं शैक्षिक व्यवस्था को प्रभावित किया है। इस वायरस से विश्व में अब तक कई लाख से अधिक लोगों की मौत का दावा किया जा चुका है। हालांकि कई देश कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने में प्रयासरत है। मास्क का प्रयोग करना तथा वैक्सीन की व्यवस्था का कार्य भी शुरू किया जा चुका है। परंतु कोरोना वायरस के कारण शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रभाव पड़ा है, वह अत्यंत चिंताजनक है। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक विद्यार्थी के लिए यह समय बेहद नाजुक है।कोरोना वायरस के कारण प्रत्येक व्यक्ति आज स्वयं को लाचार समझ रहा है। कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा समय समय पर लॉकडॉउन की व्यवस्था की गई हैं। जिसके कारण हर क्षेत्र की प्रगति पर रोक लग गई है। इसी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी कई परिवर्तन किए गए हैं। लॉकडाउन की व्यवस्था के चलते देश के समस्त कॉलेज, विद्यालय तथा कोचिंगों को बंद कर दिया गया। इसके बाद कई स्कूलों व विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज लेने का निर्णय लिया गया। ऑनलाइन ही छात्रों को महत्वपूर्ण नोट्स तथा प्रोजेक्ट्स उपलब्ध कराए जा रहे है।विंभिन्न एजुकेशन ऐप के माध्यम से भी छात्रों को पढ़ने में सुविधा हुई है। कोरोना महामारी के कारण देश में होने वाली कई सरकारी परीक्षाओं पर भी रोक लगा दी गई । वर्तमान में ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था को विकल्प की भांति प्रयोग करके, छात्रों को पढ़ाई के प्रति जागरूक रखने के प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ई लर्निंग प्लेटफॉर्म की भी शुरुआत की गई है, जिसमें ई- पीजी पाठशाला, दीक्षा, ई- बस्ता, शोधगंगा, नेशनल रिपॉजिट्री ऑफ ओपन एजुकेशन रिसोर्सेस के माध्यम से निसंदेह अध्ययन कार्य कर सकते है।

कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा एक मजबूरी-

ऑनलाइन शिक्षा को कोरोना काल में एक मजबूरी के रुप में देखा जा रहा है |कह सकते हैं कि यह समय की मांग है कि महामारी के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा ही सही ठीक रही है,हालांकि इसकी फिजिकल स्कूल और क्लास से कोई तुलना नहीं है |अच्छी तरह सीखने के स्तर पर ऑनलाइन शिक्षा स्कूली कक्षा की जगह नहीं ले सकती है |

ऑनलाइन शिक्षा ग्रामीण भारत की पहुंच से बहुत दूर-

लेकिन दूसरी ओर ऑनलाइन शिक्षा ग्रामीण भारत की पहुंच से बहुत दूर और गैर- व्यावहारिक है, ये भी सच है कि कक्षा की तुलना ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से की जाए , इससे भारत के बहुसंख्यक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी |सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले वंचित समुदाय के बच्चों के लिए पर्याप्त साधन और इंटरनेट डाटा जुटाना मुश्किल है।

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