अब कृषि हो या अन्य क्षेत्र,विज्ञान बन रहा सेतु

 Published by Pallavi pandey

अब कृषि हो या अन्य क्षेत्र,विज्ञान बन रहा सेतु

By Aman Gupta

   भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कषि हो ,स्वास्थ्य हो या फिर लघु और मंझोले उद्योग या अन्य सेक्टर ,परंपरा की लीक से हटकर उसमें विज्ञान को जोड़ने की दिशा में सरकार दीर्घकालिक रणनीति को अंजाम दे रही है । नतीजा है कि 2014 से पहले सिर्फ एक बायोफोर्टिफाइड वैरायटी के मुकाबले अब 70 उन्नत किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध! 

- नवाचार यानी इनोवेशन अब हर क्षेत्र के विकास में अनिवार्य पहलू बन गया है । भारत में लंबे समय से पारंपरिक तरीके से चलने की परिपाटी अब बदल रही है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बदलाव का जिक्र विश्व खाद्य दिवस के मौके पर 16 अक्टूबर को किया और देश और दुनिया के सामने यह खाका भी रखा कि कृषि हो या अन्य सेक्टर अब समग्र सोच और विकास के दृष्टिकोण के साथ ही बढ़ा जा सकता है । दरअसल , 2014 से पहले कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए बायोफोर्टिफाइट जैसी उन्नत किस्मों की सिर्फ एक वेराइटी ही उपलब्ध थी , जो अब 70 तक पहुंच गई है । इन उन्नत किस्म के बीजों के किसानों तक पहुंचने से पोषक तत्वों की कमी की समस्या दूर होगी और कुपोषण के खिलाफ भारत की जंग निर्णायक साबित होगी ।

*"आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान - समाज -सेतु की पहल*"

 आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ हैं अर्थव्यवस्था , इंफ्रास्ट्रक्चर , टेक्नोलॉजी आधारित सिस्टम , जीवंत जनसमुदाय और मांग । भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय और विज्ञान - प्रौद्योगिकी विभाग ने आत्मनिर्भर भारत की मुहिम के तहत चार प्रमुख क्षेत्रों को सीधे विज्ञान से जोड़ने की पहल तेज कर दी है ।

 इन सभी पहल में विज्ञान की भूमिका सबसे अहम है क्योंकि 2014 के बाद पहली बार है कि भारत में हर सेक्टर को एक समग्र सोच के के साथ आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम हो रहा है जबकि पहले अमूमन किसी खास सेक्टर पर फोकस किया जाता था । जिसका परिणाम होता था कि हर क्षेत्र बराबरी से विकास भी नहीं कर पाता था और ना देश की आर्थिक प्रगति में बराबरी का योगदान दे पाता था । लेकिन अब कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों के शोध इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं ताकि कृषि के साथ उससे जुड़े सभी क्षेत्रों को देश की अर्थव्यवस्था के अहम आधार के रूप में विकसित किया जा सके ।

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