जानिए क्या होता है मौत के आखिरी कुछ समय में?





इंसान आपने दिमाग में मौत के समय क्या सोचता है?आइए जानते हैं। 


दोस्तों क्या आप भी यह जानने के लिए उत्सुक होते हैं कि जब हमारी मौत होती है तो उस समय हमारे साथ क्या होता होगा? मौत के बाद हमारे साथ क्या होता होगा ? 


अपने इस मिस्ट्री से भरे हुए प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हम कई सिद्ध पुरुषों, ज्ञानियों से मिलते हैं, बहुत-से धार्मिक ग्रंथो और किताबों को भी पढ़ते हैं। एक हिन्दू ग्रंथ 'गरुड़ पुराण' में तो हमें यह तक बताया गया है कि मनुष्य अपने कर्मों के हिसाब से ही स्वर्ग या नर्क के दरवाजे पर पहुंचता है।


दोस्तों, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस प्रश्न का जबाव विज्ञान ने ढूंढ लिया है। जी हां , विज्ञान ने इस मिस्ट्री के रहस्य को ढूंढ लिया है।


आज इस आर्टिकल में हम इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे और साथ ही यह कैसे संभव हुआ है? इसके बारे में भी आपको बताएंगे-


तो आइये जानते हैं कि विज्ञान ने इसका पता कैसे लगाया है?


मृत्यु के समय हमारा दिमाग क्या सोचता है? क्या विचार इंसान के दिमाग में आते हैं? साथ ही वह उस समय कौन-सी प्रतिक्रियाएं देता है? 


इस सवाल के जवाब को हम कनाडा के अस्पताल में घटित हुई एक घटना के माध्यम से जानेंगे जिसमें एक चौंकानेवाला तथ्य सामने आया था, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी दंग रह गए थे और यकीन मानिए उसे पढ़कर आप भी अपने दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे।


यह घटना  आज से 6 साल पहले सन 2016 में कनाडा के 'वेंकोवर जर्नल हास्पिटल' में घटी थी। इस अस्पताल में इमर्जेंसी रूम में एक 87 साल का बुजुर्ग मरीज एडमिट हुआ था, उस मरीज को मिर्गी की बीमारी थी जोकि एक दिमागी बीमारी है। इस बीमारी में इंसान को बार- बार मिर्गी के दौरे आते हैं, इस बुजुर्ग को भी इलाज के दौरान बार-बार मिर्गी के दौरे आ रहे थे, तब अस्पताल के डॉक्टर्स ने मरीज के दिमाग को जाँचने के लिए EEG का इस्तेमाल किया।


EEG का इस्तेमाल डॉक्टर्स दिमाग को पढ़ने के लिए करते हैं। EEG पूरा नाम Electroencephalography है।  इसका नाम आपको जितना कठिन दिख रहा है, ठीक वैसे ही इसका काम भी कठिन है। 

आइए जानते हैं कि इस तकनीक का इस्तेमाल कैसे करते हैं?


वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे दिमाग में विद्युत धाराएं बहती रहती हैं, जिसके कारण हम हर समय कुछ ना कुछ सोचते रहते हैं, फिर चाहे हम सो रहे हों, जाग रहे हों या फिर कहीं पर खड़े या बैठे ही क्यों न हों। रात को सोते समय आने वाले सपने भी इसी विद्युत धारा का परिणाम हैं। कहा जाता है कि मानव ही एक मात्र जीव है जो सपना देख सकता है। इसी तरह दिमाग की जाँच करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई जो दिमाग में बह रही विद्युत धारा को जाँचने के साथ साथ और उसे रिकॉड भी कर सकती है। इसी मशीन का नाम EEG है, आसान भाषा में कहा जाए तो इसे दिमाग पढ़ने की मशीन कह सकते हैं। यह मशीन पूरी तरह तो इंसान के दिमाग को नहीं पढ़ सकती कि इंसान क्या सोच रहा है?और आगे क्या कर सकता है? ये तो नहीं बता सकती लेकिन हां, थोड़ा बहुत पता लगाया जा सकता है कि दिमाग के किस हिस्से में क्या हरकत हो रही है और मरीज का मूड कैसा है। 


कनाडा के उस बुजुर्ग मरीज कि जाँच इसी मशीन के द्वारा की जा रही थी, जांच में सामने आया कि इस दिमागी मरीज को बार-बार दौरे आ रहे हैं। इसलिए डॉ. जानना चाहते थे कि इस मरीज को आखिरकार परेशानी क्या है? अचानक इसी जाँच के दोरान मरीज को हर्ट अटेक आ जाता है। उस समय इस बुजुर्ग मरीज की जांच डॉ. रॉल विंसेंट कर रहे थे। तब उन्होंने देखा कि मृत्यु के दोरान भी उस मरीज की दिमागी की स्थिति EEG मशीन में रिकॉड हो जाती है। जोकि डॉ. विसेंट के लिए एक बहुत ही अजीब सी घटना थी, क्योंकि उस मरीज की मृत्यु हो चुकी थी, फिर भी उस मरीज का दिमाग काम कर रहा होता है। 


EEG में उस मरीज की करीब 900 सेकेंड की दिमागी स्थिति रिकॉड होती है, इसमें से 60 सेकेंड की दिमागी स्थिति तो बहुत ही दिलचस्प होती है और ये वही 60 सेकेंड होते हैं जिसमें से 30 सेकेंड दिल की धड़कन रुकने से पहले के होते हैं, और 30 सेकेंड दिल की धड़कन रुकने के बाद के।


डॉ. विंसेट ने जब इस 60 सेकेंड के 'ब्रेन वेव्स' को देखा तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह मरीज उस समय कुछ पुरानी यादों से होकर गुजर रहा हो, इस दौरान उनके ब्रेन एक्टिविटी में विशेष तरंगें भी देखने को मिलीं। ये ब्रेन वेव्स उस समय से मिलती जुलती थीं जैसे कि हम कोई सपना देख रहे हों या कुछ याद कर रहे हों।


 अब आपके मन में एक सवाल जरूर उठ रहा होगा, वो ये की ये ब्रेन वेव्स आखिर क्या होता है?आइए सबसे पहले इसे ही जानने का प्रयास करते हैं, 


दरअसल, हमारे दिमाग में जो विद्युत धारा प्रवाह हो रहा  होता है तो उससे कुछ तरंगें निकलती हैं, इन तरंगों को ही 'ब्रेन वेव्स' कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, कहा जा सकता है कि जब हम ठहरे पानी में पत्थर फेंकते हैं उस समय जो पानी से तरंगे निकलती है, ठीक वैसा ही कुछ हमारे दिमाग होता है। यह ब्रेन वेव्स हमें दिखाई नहीं देते हैं, पर इनको EEG जैसे उपकरणों से रिकॉड किया जा सकता है। 


वैज्ञानिकों ने ब्रेन वेव्स को उनकी फ्रीक्वेंसी की रेंज के आधार पर बांट रखा है, यह अलग अलग ग्रुप्स में बंटा हुआ है और इन ग्रुप्स के नाम ग्रीक एल्फावेट के नाम पर रखा गया है। इनमे से पांच ग्रुप्स के नाम ये रहे - अल्फा वेव्स, बीटा वेव्स, गामा वेव्स, डेल्टा वेव्स और थेटा वेव्स। इन सभी ग्रुप्स का सीधा संबंध हमारे दिमाग में हो रहे गतिविधियों से है। 


वैज्ञानिक EEG से ब्रेन वेव्स रिकॉर्ड करते हैं और ब्रेन वेव्स को ही देखकर वह अंदाजा लगाते हैं कि दिमाग में किस तरह का वेव्स उत्पन हो रहा है। उस 87 साल के बुजुर्ग मरीज के दिमाग में डॉ. को 'गामा वेव्स' कि हरकत अधिक दिखाई देती है। 


इस मृत व्यक्ति के ब्रेन स्केनस स्टडी करने के बाद रिसर्चर्स ने इस शोध के नतीजे को प्रकाशित किया इस नतीजे को Frontiers in Aging Neuroscience का एक जनरल है वहां प्रकाशित किया गया इस स्टडी में कई देश के वैज्ञानिक शामिल थे, इसके वैज्ञानिक कहते हैं - "यह कहना दिलचस्प होगा कि इस तरह की एक्टिविटी एक आखिरी 'रिकॉल ऑफ लाइफ' को सपोर्ट कर सकती है जो निकट - मृत्यु की स्थिति में हो सकती है।" 


एक तरफ तो वैज्ञानिक इसे दिलचस्प भी कहते हैं, दूसरी तरफ इस ख्याल में पूरी तरह ना बहने को भी कहती हैं। अगर कोई और भी इस शोध को करना चाहता है तो उसे सावधानी बरतने के लिए कहते हैं। वैज्ञानिकों ने इस शोध को प्रकाशित करने के लिए 6 महिने लगाए, क्योंकि वह देखना चाहते थे कि यह दिलचस्प बात उन्हें और भी इंसानो में मिलता है या नहीं जो उन्हें उस 87 साल के मरीज में उन्हें देखने को मिला, पर ऐसा दोबारा नहीं होता है। तब वैज्ञानिक यह भी निष्कर्ष निकालते हैं कि वह मरीज दिमागी रूप से बीमार था, दिमागी चोट होने के वजह से भी ब्रेन वेव्स पर असर हो सकता है। पर दुबारा इस शोध को करना वैज्ञानिकों के लिए आसान नहीं रहा। 


2013 में वैज्ञानिकों को यह एक्टिविटी चूहों में प्राप्त हुई जो इस घटना से मिलती जुलती थी। इस स्टडी में मरते हुए चूहे के दिमाग में गामा वेव्स लेवल बढ़ते देखा गया। 


इससे पहले बहुत लोंगो को लगता था कि मृत्यु के समय दिमागी सक्रियता कम हो जाती है। 

लेकिन इस शोध के बाद पता चला कि मृत्यु के समय हमारे  दिमाग की चेतना अधिक हो जाती है। इसे जानने के लिए 'निकट मृत्यु अनुभव' को समझा गया, ऐसे कई लोग होते हैं जो मौत के करीब जा कर वापस आते हैं। इसे ही शास्त्रों में 'निकट मृत्यु अनुभव कहा गया है। 


कुछ ऐसे लोग जो मौत के करीब जाकर वापस आये हैं, वे लोग अपनी अजीब अनुभवों को बयान करते हैं, किसी व्यक्ति ने देखा होता है कि वह एक अंधेरे गुफा में जा रहा है जिसके दूसरे छोड़ पर रोशनी हैं। 

किसी को ऐसा अनुभव होता है कि उसके शरीर से कुछ पदार्थ निकल रहा है। 


कुल मिलाकर वैज्ञानिकों का मानना यह है कि यह इसलिए होता है क्योंकि उस समय हमारी दिमागी चेतना बढ़ जाती है और हम अत्यधिक सोचने लगते हैं जिस कारण से मृत्यु के कुछ क्षण बाद भी मस्तिष्क अपना कार्य करता रहता है, और परिणाम प्राप्त होते रहते हैं।



लेख – शिवानी झा

संपादक– अभय कुशवाहा

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