जानिए विश्व प्रेस स्वतंत्रता क्या है? 2022 मे इसकी थीम क्या है और विश्व के स्तर पर विभिन्न देशो में प्रेस क्या स्थिति है...
Written by:- Shivam chauhan
23 June 2022.
चर्चा का कारण
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस यानी 3 मई 2022 को ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) द्वारा जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 20वाँ संस्करण चर्चा में बना हुआ है, इस सूचकांक में भारत को विश्व के 180 देशों में 150 वां स्थान मिला है जोकि मीडियाकर्मियों के लिए एक खतरा उत्पन्न करता है।
क्या थी वर्ष 2022 की थीम
• इस दिन उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने अपनी जान गंवाई है।
• इस वर्ष विश्व प्रेस दिवस की थीम/विषय 'डिजिटल घेराबंदी के तहत पत्रकारिता (Journalism Under Digital Siege)' है।
• यह डिजिटल साइबर अपराध और सोशल मीडिया पत्रकारों और मीडिया अधिकारियों पर हमलों पर केंद्रित है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2022 वैश्विक सम्मेलन
• यूनेस्को और रिपब्लिक ऑफ़ उरुग्वे 2-5 मई 2022 को पंटा डेल एस्टे, उरुग्वे (Punta Del Este, Uruguay) में एक हाइब्रिड फ़ॉर्मेट में वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस वैश्विक सम्मेलन की मेज़बानी कर रहे हैं।
• "डिजिटल घेराबंदी के तहत पत्रकारिता (Journalism under Digital Siege)" विषय के तहत, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर डिजिटल युग के प्रभाव, पत्रकारों की सुरक्षा, महत्वपूर्ण सूचना तक पहुंच और उनकी गोपनीयता पर आवश्यक चर्चा की गई।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
• 3 मई 1993 ई.को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को विश्व स्वतंत्रता प्रेस दिवस के रूप में घोषित किया था। यह घोषणा 1991 में यूनेस्को के छब्बीसवें आम सम्मेलन सत्र में की गई एक सिफारिश के बाद आई है।
• सन् 1991 के विंडहोक घोषणापत्र के परिणामस्वरूप इस दिन की घोषणा हुई थी, विंडहोक घोषणापत्र एक बयान है जो प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में अफ्रीकी पत्रकारों द्वारा प्रस्तुत की गयी थी।
• इसे यूनेस्को द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में प्रस्तुत किया गया था, यह सम्मेलन 3 मई को संपन्न हुआ था।
मीडिया रैंकिंग में गिरावट क्यों
सरकार का दबाव
• सूचकांक कहता है कि हमारे देश में मीडिया, लोकतांत्रिक रूप से प्रतिष्ठित राष्ट्रों की अपेक्षा अधिक सत्तावादी या राष्ट्रवादी सरकारों तथा बड़े अधिकारियों के दबाव का सामना कर रहा है।
देश के नीतिगत ढांँचे में दोष
• यद्यपि देश का नीतिगत ढांँचा सैद्धांतिक रूप से यद्यपि सुरक्षात्मक है। किंतु यह मानहानि, राजद्रोह, न्यायालय की अवमानना और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए उन्हें "राष्ट्र-विरोधी" करार देता है जोकि इसका एक नकारात्मक पक्ष प्रदर्शित करता है।
प्रेस के लिये भारत दुनिया का सबसे पिछड़ा देश
• रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मीडियाकर्मियों के लिये रास्ते आसान नहीं हैं। प्रेस के लिए भारत दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है।
• पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक समूहों के कार्यकर्त्ताओं द्वारा घात लगाकर हमला करने और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा घातक प्रतिशोध सहित सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ता है।
दक्षिण एशिया की स्थिति
• इस सूचकांक में दक्षिण एशियाई मुल्कों की स्थिति बेहतर नहीं है। हालांकि, पड़ोसी देशों भूटान और नेपाल ने अपनी स्थिति में सुधार किया है।
• पाकिस्तान और तालिबान के अधिकार वाले अफगानिस्तान की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इस सूचकांक के जारी होने के बाद पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय जगत में अवहेलना हो रही है।
• इस रिपोर्ट को लेकर पाकिस्तान में सियासती गरमा-गर्मी परस गई है। सत्ता पक्ष इसके लिए पूर्व की इमरान खान सरकार को दोषी ठहरा रहा है।
• रिपोर्ट जारी होने के बाद अमेरिका ने भी पाकिस्तान को निशाना बनाया है।
• इस इंडेक्स में दक्षिण एशिया के दो देशों के अलावा अन्य देशों ने खराब प्रदर्शन किया है। अगर दक्षिण एशियाई मुल्कों की बात करें तो भूटान और नेपाल की स्थिति पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर हुई है।
• नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 30 अंकों की बढ़त के साथ 76वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2021 में भूटान 65वें रैंक पर था, जबकि 2022 में वह 33वे रैंक पर है।
• इसी तरह वर्ष 2021 में नेपाल 106वें स्थान पर था, जबकि 2022 के इंडेक्स में वह 76वें रैंक पर पहुंच गया। दक्षिण एशियाई देशों में दोनों देशों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में काफी प्रगति की है।
श्रीलंका की स्थिति
• इंडेक्स में श्रीलंका और भारत और अफगानिस्तान में गिरावट देखी गई है। वर्ष 2021 में श्रीलंका इस सूची में 127वें रैंक पर था। वर्ष 2022 में वह 146वें पायदान पर पहुंच गया है।
• हाल में आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका में राजनीति अस्थिरता का दौर उत्पन्न हो गया है। इसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लगातार चर्चाओं में रहा।
भारत की स्थिति
• भारत भी पिछले वर्ष के मुकाबले आठ पायदान नीचे पहुंच गया है। वर्ष 2021 में वह 142वें स्थान पर था, जबकि 2022 में वह 150वें रैंक पर है।
• तालिबान हुकूमत वाले अफगानिस्तान की रैंकिंग में बड़ा बदलाव देखा गया है। वर्ष 2021 में वह 122वें रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में 156 रैंक पर आ गया। बांग्लोदश 152 रैंक से 162 पायदान पर चला गया। म्यांमार 176वें स्थान पर है।
चीन की स्थिति
चीन ने पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ बेहतर प्रदर्शन किया है। उसने पिछले वर्ष बले दो पायदान की प्रगति की है।
वर्ष 2021 में चीन विश्व भर में 177 वें रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में 2 स्थान के फायदे के साथ वह 175वें रैंक पर आ गया।
• जैसा कि आप जानते हैं कि चीन में कम्युनिस्ट शासन है, जहां मीडिया पर देश में सत्तापक्ष का पूरा नियंत्रण होता है।
पाकिस्तान में 12 अंकों की गिरावट
• वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम सूचकांक-2022 के अनुसार में बीते एक वर्ष में पाकिस्तान ने इंडेक्स में 12 अंकों की गिरावट दर्ज की है। खास बात यह है कि इस सूची में वह तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान से भी नीचे है।
• पिछले वर्ष यहां कई पत्रकारों की अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने और सरकार की कुछ नीतियों की आलोचना करने के कारण हत्या कर दी गई थी।
• वर्ष 2021 में पाकिस्तान 145 रैंक पर था, जबकि वर्ष 2022 में वह 157 रैंक पर आ गया है।
मीडिया के लिए डिजिटल खतरों से निपटारा
• फॉरबिडन स्टोरीज द्वारा सेफबॉक्स नेटवर्क , जो खतरे में पड़े पत्रकारों को उनकी संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखने की अनुमति देता है।
• यदि किसी पत्रकार का अपहरण कर लिया जाता है, हिरासत में लिया जाता है या उसकी हत्या कर दी जाती है, तो फॉरबिडन स्टोरीज अपनी जांच जारी रखने और उन्हें दुनिया भर में प्रकाशित करने में सक्षम होगी।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
• प्रेस या मीडिया देश के चौथे स्तंभ के रूप में क्रिया करता है। संविधान हमारे देश का सर्वोच्च कानून है, संविधान का अनुच्छेद 19 किसी भी देशवासी को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो 'भाषण की स्वतंत्रता' आदि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण' से संबंधित है।
• भारत में मीडिया/प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय कानूनी प्रक्रिया द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत संरक्षित अवश्य की गई है, जिसके अनुसार "सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"।
• रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य,1950 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि प्रेस की स्वतंत्रता सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव है।
हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी अपने आप में पूर्ण नहीं है। अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर कुछ प्रतिबंधों को आरोपित किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या न्यायालय की अवमानना, मानहानि,किसी अपराध के लिये उकसाना।
विश्व स्तर पर उठाए गए कदम
• संयुक्त राष्ट्र, OAS, OSCE और ACHPR में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर विशेष जनादेश द्वारा जारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लिंग न्याय पर संयुक्त घोषणा, जो संरचनात्मक बाधाओं पर ध्यान आकर्षित करती है जो महिलाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समान आनंद से रोकती हैं, डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच और मीडिया में भागीदारी।
• अभिव्यक्ति और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर अमेरिकन स्टेट्स ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स के संगठन का शुभारंभ।
पत्रकारों की सुरक्षा और दण्ड से मुक्ति के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की कार्य योजना की 10वीं वर्षगांठ पर पहला परामर्श आयोजित किया गया, जो योजना के भविष्य के कार्यान्वयन को सूचित करेगा।
• सम्मेलन के दौरान क्षमता निर्माण सत्र भी आयोजित किए गए, जिसमें गोपनीयता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डेटा संरक्षण पर गोपनीयता आयुक्तों के साथ एक कार्यशाला, गोपनीयता और डेटा संरक्षण पर यूनेस्को के दिशानिर्देशों पर निर्माण , और लैटिन अमेरिका से संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों के लिए एक प्रशिक्षण शामिल है।
• व्हिसलब्लोअर और पत्रकारों के बीच संबंधों पर जारी एक रिपोर्ट।
• मीडिया व्यवहार्यता पर यूनेस्को द्वारा एक नई नीति का संक्षिप्त विवरण ।
• समाचार संगठनों और इंटरनेट कंपनियों को महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा को कैसे संबोधित करना चाहिए , इस पर आगामी वैश्विक अध्ययन "द चिलिंग" के दो अध्यायों का शुभारंभ ।
• अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया विकास में विश्व रुझान की रिपोर्ट का क्षेत्रीय शुभारंभ ।
•एक्सेस नाउ द्वारा आयोजित डिजिटल ड्रॉप-इन सेफ्टी क्लिनिक और आईआरईएक्स द्वारा आयोजित निगरानी के मनोसामाजिक प्रभाव से निपटने के लिए एक खुला प्रशिक्षण सत्र।
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