ए मेरे वतन के लोगो (पार्ट 2)
ऐ मेरे वतन के लोगो
ज़रा बहा लो पसीने का पानी
जो शहीद हुए है उनकी
कही बेकार न चली जाए कुर्बानी ।
तुम मुफ्त में लेकर सभी सुविधा
मत करो देश से तुम बैमानी
सोचते क्या होंगे हमारे
वीरगति को प्राप्त हुए सैनानी ।
फांसी के तख्ते पर जो चढ़ गए
न्योछावर कर दी अपनी जवानी
स्वतंत्रता के वीरों को तुम भी
ज़रा सच्ची दो अपनी श्रद्धांजलि ।
हवा में ध्वज वो ही लहराए
जो काम इस देश के आ पाए
नही तो फोटो खिंचवा कर तुम भी
कही देश से न कर दो बेईमानी ।
खतरा भारत को है नही
बाहरी ताकतो से इतना
घर में छुपे हुए जयचंदो से
हमको शायद है जितना ।
इंटरनेट पर केवल भक्ति से
न होता है इतना फायदा
आओ मिल कर सेवा करे
अपने कर्मो से देश की ज्यादा ।
1857 से लेकर 1947 तक
90 साल में पूरा हुआ आंदोलन
75 साल अब गुजर गए
चलो कुछ बेहतर कर ले यह जीवन
अपने अपने काम में
मेहनत करे हम और भी ज्यादा
देश का गौरव हम बने
कुछ कर जाए ऐसा प्यारा
आजादी को जिम्मेदारी से
आओ माथे का तिलक बना डाले
सभी भाईचारे, मेलजोल से
भारत को फिर विश्व गुरु बना डाले
भारत को फिर विश्व गुरु बना डाले
तुम भूल ना जाओ
उनको इसलिए कही ये आज फिर कहानी
जो शहीद हुये हैं उनकी,
ज़रा याद करो कुर्बानी
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद की सेना
मुकेश जी गुप्ता
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